- दाल पानीये अलीराजपुर क्षेत्र का एक पारंपरिक भोजन है जो शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में पसंद किया जाता है। यह अधिकांश रेस्तरां और होटलों में आसानी से उपलब्ध है। यह मध्य प्रदेश के अन्य हिस्सों में भी लोकप्रिय है।
दाल को तुवर दाल, चना दाल, उड़द दाल , मुंग दाल का उपयोग करके तैयार किया जाता है। दाल को कुछ घंटों के लिए पानी में भिगोने के बाद एक साथ पकाया जाता है। सबसे पहले, तेल की एक छोटी मात्रा में एक फ्राइंग पैन में गरम किया जाता है और फिर मसाला राय-जीरा (सरसों और जीरा) को गर्म तेल में मिलाया जाता है। फिर हरी मिर्च, लहसुन और हिंग, लाल मिर्च, हल्दी, धनिया, अदरक सहित कुछ मसाले डाले जाते हैं। कुछ क्षेत्रों में दाल का खट्टी मीठी भी बने जाती है। अंत में, उबले हुए दाल को डालकर पकाया जाता है।
पानीये को मक्के के आटे से बनाया जाता है। मक्का के आटे को, आक के पत्तों के बीच सैंडविच कि तरह रख कर बनाया जाता है और सूखे गाय के उपलों(कन्डो) की खुली आग पर भुना जाता है। जब पानीये सुनहरे भूरे रंग के हो जाते हैं, तो इसे घी के साथ किया जाता है और फिर दाल, रवा लड्डू, चावल, पुदीना चटनी, केरी (कच्चे आम) चटनी, बहुत सारे प्याज के हरे सलाद, और ताजा छाछ (चेस) के साथ परोसा जाता है।
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कचौरी पुरे भारत कि तरह ही अलीराजपुर में भी बहुत लोकप्रिय व्यंजन है | कचौरी मैदे और पीली मूंग दाल या उरद दाल के पके हुए मिश्रण से भरी हुई महीन आटा से बनी होती है, बेसन , काली मिर्च, लाल मिर्च पाउडर, नमक और अन्य मसाले मिला कर बनायीं जाती है । इसे आमतौर से नाश्ते में पुदीना कि चटनी,इमली कि चटनी और दही के साथ खाया जाता है | कचौरी को कई तरह से बनाया जाता है परन्तु अलीराजपुर में मुंग दल कि कचौरी ज्यादा पसंद कि जाती है |पुरे जिले में यह हर छोटे बड़े रेस्टोरेंट/होटल में आसानी से मिल जाती है |